Israel vs. Hamas | "इजरायल-हमास War: चीफ का Resignation और नेतन्याहू की Responsibility"
इजरायल के आर्मी चीफ हलेवी ने 7 अक्टूबर के हमले की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की घोषणा की
इजरायल के आर्मी चीफ हर्जी हलेवी ने 7 अक्टूबर को हुए हमास के हमले की जिम्मेदारी लेते हुए 6 मार्च को अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है। हलेवी ने स्वीकार किया कि इस हमले में सुरक्षा में गंभीर चूक हुई, जिसके चलते सैकड़ों लोग मारे गए और कई बंधक बनाए गए। उन्होंने कहा कि यह उनकी विफलताओं का परिणाम था, और इस पर जवाबदेही लेते हुए वे पद छोड़ रहे हैं। हमास का यह हमला इजरायल के इतिहास में अब तक का सबसे घातक हमला माना गया है, जिसमें 1200 नागरिकों की जान गई थी और करीब 250 लोग बंधक बनाए गए थे।
हलेवी ने यह भी कहा कि वे अपने इस्तीफे से पहले 7 अक्टूबर के हमले की इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) द्वारा की जा रही जांच को पूरा करेंगे। साथ ही, उन्होंने इजरायल की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए आईडीएफ की तैयारियों को मजबूत करने का आश्वासन दिया। हलेवी के इस्तीफे के बाद अगले आर्मी चीफ का नाम अब तक तय नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने संकेत दिया है कि वे पद अपने नामित उत्तराधिकारी को सौंप देंगे। इसके साथ ही, आईडीएफ साउदर्न कमांड के प्रमुख मेजर जनरल यारोन फिंकेलमैन ने भी इस्तीफे का ऐलान किया है।
नेतन्याहू का रुख बदलता नज़र आया
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पहले 7 अक्टूबर के हमले की गहन जांच की बात कही थी, लेकिन अब वे इस हमले की जिम्मेदारी तय करने वाली जांच के पक्ष में नहीं दिख रहे। इजरायल में इस हमले को लेकर जनता और विपक्ष द्वारा व्यापक स्तर पर जांच की मांग हो रही है। हालांकि, नेतन्याहू की ओर से इस पर स्पष्ट विरोध जताया गया है।
नेतन्याहू पर यह आरोप भी लग रहे हैं कि उनकी सरकार ने सुरक्षा में भारी लापरवाही की। सरकार पर यह दबाव है कि इस हमले की जिम्मेदारी तय हो, लेकिन नेतन्याहू का यह रुख उनके खिलाफ माहौल बना सकता है।
इजरायल और हमास के बीच बंदियों की अदला-बदली जारी
हमास और इजरायल के बीच लंबे समय तक चले संघर्ष के बाद फिलहाल युद्धविराम लागू है। यह युद्धविराम पहले चरण में 42 दिनों तक चलने की उम्मीद है। इस दौरान दोनों पक्ष बंदियों की अदला-बदली कर रहे हैं। हमास द्वारा बंधकों की रिहाई की जा रही है, और बदले में इजरायल भी फिलिस्तीनी बंदियों को रिहा कर रहा है।
युद्धविराम कतर और अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ, जिससे दोनों पक्ष रजामंद हुए। हालांकि, इजरायल के भीतर प्रधानमंत्री नेतन्याहू को आलोचना का सामना करना पड़ा है। उनकी सरकार पर हमास के आगे झुकने के आरोप लगाए गए हैं।
नेतन्याहू का लक्ष्य और उसकी विफलता
बेंजामिन नेतन्याहू ने जब हमास के खिलाफ युद्ध छेड़ा था, तब उनका मकसद हमास को पूरी तरह मिटाना था। इस अभियान के दौरान हमास के कई शीर्ष नेताओं, जैसे चीफ यह्या सिनवार और विदेश में काम कर रहे प्रमुख नेता इस्माइल हानियेह, को निशाना बनाया गया। लेकिन इसके बावजूद इजरायल को युद्धविराम के लिए हमास के साथ समझौता करना पड़ा।
यह स्थिति नेतन्याहू के लिए एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बन गई है। विपक्ष और जनता की आलोचना से घिरे नेतन्याहू पर अब उनकी सरकार की स्थिरता बनाए रखने का दबाव बढ़ गया है।
निष्कर्ष
इजरायल में 7 अक्टूबर के हमास हमले ने सुरक्षा तंत्र और नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आर्मी चीफ हलेवी ने इस हमले की जिम्मेदारी लेकर नैतिक साहस दिखाया है, लेकिन प्रधानमंत्री नेतन्याहू का बदला हुआ रुख सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है। वहीं, इजरायल-हमास के बीच युद्धविराम और बंदियों की अदला-बदली से एक नए दौर की शुरुआत हुई है, लेकिन यह संघर्ष के स्थायी समाधान की गारंटी नहीं देता।
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